
अनेकता में एकता …… संस्कृति हमारी
सद्भावना के दीप जलाना सबकी जिम्मेदारी
गणतंत्र दिवस पर आओ हम सब ले शपथ
मौलिक अधिकारों के संग संग कर्तव्य पथ
देशभक्ति रथ पर तिरंगा लहराता रहेगा सदा
सिखाती भारतीयता निभाओ इंसानियत वफा
दर्द ने सिखाई दुनियादारी
दर्द के आगे हारी लाचारी
दर्द बड़ा जब इंतिहा से आगे
लगा करेगा मदद खुदा हमारी
दर्द ने खुदा को यार बनाया
खुदा का नूर ए दरबार दिखाया
रोज सुनाते यार को पीड़ा
यारब ने भी उठा लिया बीड़ा
दर्द से निजात दिला कर रहूंगा
खुद से तुझको मिला कर रहूंगा
खुदा से मिलना जब से सीखा
एक पल भी दर्द ना ना चीखा
हर लम्हा रूह अरे शुकराना
खुदा से मिलकर खुद को जाना
पाया है जो मैंने ,तुम भी उसे पाओ
मुस्कुरा रही हूं जैसे तुम भी मुस्कुराओ
कैसे करूं …कैसे करूं बयां ?
खुशी की चरम सीमा , खुशी के चरम सीमा
रूहे किस्से सुना .रूहानियत अपना
शांति की रिमझिम से प्यासे मन हर्षा
प्यार से अछूता रहे ना कोई मन तन्हा
दुआओं की होती है हर मन को चाह
आओ करें कुछ ऐसा कुछ
खुदा करे वाह !खुदा कहे वाह !
किसी का प्यार ..किसी की वफा ..किसी की जफा ..किसी की नफरत ..किसी की भक्ति ..किसी की दुआ… किसी की स्थिति… किसी की दुर्दशा …कभी रितु का आना कभी जाना.जीवन मृत्यु ..संस्कृति सभ्यता ..तीज त्योहार …कभी खेल .कभी मेल ..कभी व्यापार कभी दुर्व्यवहार …कभी नारी शक्ति कभी नारी शोषण ..मजबूरियां दुश्वारियां ,दुर्गति ,सद्गति ईश्वर ,भगत राम, रहीम सब खुद ब खुद आ जाते अल्फ़ाज़ों में … अल्फाजों से पंक्ति ..पंक्ति से पहरा ..पह पहरे से कविता ..कविता में हम ..ऐसे ही बन जाते हैं गीत .गजल .भजन गीत . शेरो शायरी ..दोहे ……… ना जाने क्या-क्या तभी तो कहती हूं मैं कविता नही…. कविता मुझे लिखती है
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Farewell song
नारी सशक्तिकरण के चाहे ना लगाओ नारे
हर जतन, हर वचन और क्षेत्र
सुख – दुख संघर्ष , कर्म में
आगे बढ़ती नारी की बस टांग ना खींचो
कर जमाने हर्षनाद – शंखनाद
प्रेरणा भरो , ना अखियां भीचो
नर नारी में लकीर न खींचो
आन शान मान की देख चकाचौंध
गरिमा – ताकत महिमा पांव तले ना रोंध
नारी शक्ति तू विश्वरूपम गर्विता
स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन
ममता क्षमता को तू लेकर
संस्कार समंदर में तू बहकर
जमी पर तू पांव जमा कर
परंपराओं का अंधकार हटाकर
चंदा सूरज हाथ में सजाकर
हर दिशा हरमन कर रोशन
जमाना भूले नारी शोषण
एक ही नारा – नारी पोषण
होलिका दहन में जला शिकवे
मन में उमंग , हर लम्हा होली
मीठी लगती है कोयल की बोली
भिगोता हमदम जब गोरी की चोली
थोड़ा गुलाल थोड़ी सी भांग
थोड़ा गाना …थोड़ा बजाना
थोड़ी थोड़ी …हंसी ठिठोली
ढोल बजाती यारों की टोली
भुला के शिकवे यारों से बोली
आ गई होली …भा गई होली
रूठे यार मना गई …रे होली
छा गई होली . .हंसा गई होली
तेरे दर पर ना आता तो रहता भरमाता
तेरे सदके ही उठ सका
मैं ,मेरी कलम , मेरा हौसला
वरना तूफान तो इतना तेज था
टूट जाता मैं
टूट जाता मेरा घोंसला
दुआओं की कीमत लगाने चला था
हीरे मोती के बदले पाने चला था
लुटा के खजाने भी दुआएं मिली ना
बोली लगाने पर भी दाल गली ना
किसी भले मानस में आकर बताया
दुआओं का मतलब मुझे समझाया
बोते जैसे बीज हम ..वैसा ही फल मिलता
शुभ कर्मन से दुआओं का फूल खिलता
(कर भला हो भला )सबक यही मिलता
शुभ कर्मन में देरी हमारी मनमानी है
सांसो का भरोसा क्या ? सांसे बेगानी है…
बेटे की पत्नी बहू है अभी.. दामाद की पत्नी ही बेटी है
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ… जाने क्यों दुनिया कहती है 😕
जब बेटी समझना है नहीं तो बेटी बेटी क्यों करें ?
सब हक बेटी के लिए है बहू के लिए बस कर्तव्य है
कहते हैं हम शिक्षित हैं.. आजाद सोच के मालिक हैं
कथनी कुछ और है करनी है कुछ और
अपनी बेटी लगे पाकीज बड़ी
लगे बहू बेहया बदतमीज बड़ी
ऐसे नीच जज्बात …बड़ी शर्मनाक बात
ढोल शूद्र और नारी ..आज भी ताड़न के अधिकारी
बेटी के मर्द साथी मित्र हैं
बहू के हो तो गंदा उसका चरित्र है
ऊंचे ऊंचे पदों पर बैठी है
हर बहू किसी की बेटी है
संस्कृति – संस्कार के दलालों से
चरित्र पर उंगली उठाने वालों से
मां भारती के तारणहारो से
बेटी की मां का सवाल है ?
मेरी बेटी पर क्यों बवाल है
अच्छा सच्चा होना बहुत अच्छा होता है
आत्मसम्मान को खोना होता पर बुरा
मर्जी आपकी …जिंदगी आपकी ..
खामोशी कोई गुनाह तो नहीं , सब्र का ही साथी है
खामोशी कोई कमजोरी नहीं , मौन का पर्यायवाची है
खामोशी शांति और प्रेम की चाह रखती है
दर्द देने वालों के लिए भी दुआ रखती है
खामोश को भी दर्द होता है
खामोश अंदर अंदर रोता है
बस आंखों को पढ़ना आना चाहिए
आंखों के आसमान पर बिठाना चाहिए
लब सीना मायने जहर पीना , मर मर के जीना
दर्द के दरिया से निकाल संभाल कर
जहर ♡ अमृत में बदलना सबके बस की बात नहीं
वह इंसान क्या ? जिसमें रूहानी जज्बात नहीं
खामोश निगाहें – लब बोलते हैं
यह तो है सितमगर का हुनर व सलीका
कितना सुनते < कितनी चुप्पी9 तोलते हैं >
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Dear Friends—Happy September! This week, I again open up PhoebeMD.com for another Meet & Greet event. I originally started this on PhoebeMD: Medicine + Poetry as a dedicated time for bloggers to come together to share their work, make new connections, and expand their blog audiences. In short: a chance to promote yourself and your […]
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पतझड़ है तो बसंत भी है, जीवन है तो अंत भी है , कभी कभी बहार बन, इंतजार बन कभी विदाई बन , कभी जुदाई बन, दोस्त बन हंसाती रुलाती रहेगी लता दीदी की आवाज की महक …बसंत के मौसम की तरह… पतझड़ में भी खिलती ,खिलाती, महकाती …मन में उतर जाती कुछ ऐसे ही …कभी कली बन ..कभी फूल बन, तुम जाने के बाद भी अपनी आवाज से, अंदाज से, सब के दिलों में राज करोगी ,आप थी, आप हो , आप रहोगी …..मेरे गीत ही मेरी पहचान है … पहचान बनकर , निशान – जुबान बनकर . कभी आंसू बनकर कभी मुस्कान बनकर …..
I invested all my efforts in Godly bank …so blessed … it is giving me countless happiness and that too without interest 🙂
My Pan no – Thankfulness
Account no – Blessings @ ALL MIGHTY
OTP – Speechless wonders
राधा झूमे- नाचे , मचले बार-बार
पिया आया मेरा, श्याम आया है
रूहे धड़कन में सरगम सा समाया है
कहे कान्हा, राधा को दीवाना जमाना मेरा
तूने मुझे अपना हरदम दीवाना बनाया है
राधा बोली , तकदीर पर बेहद नाज है
तू दीवाना मेरा , मैं दीवानी तेरी .
तेरी बंसी का जादू , ओ सांवरे !
खुद ब खुद चली आती हूं मैं
गजब सी कशिश, अजब राज है
भोर होते ही आती चिड़िया
जल्दी-जल्दी दाने खाती चिड़िया
घोसले में अपने दाने रख आती
बारिश आंधी भी रोक न पाते
फर्ज का पाठ परिंदे पढ़ाते
शाम ढले से पहले ……
बाट जोहते बच्चों खातिर
चौगा भोजन लेकर पहुंच जाती
दुलार प्यार, खिलाती सुलाती
ना कोई उम्मीद , ना रखती अपेक्षा
उड़ान सिखा कर आसमां दिखाती
ओ खुदगर्ज़ मानव ! सीख चिड़िया से
कर्म कर , ना फल की इच्छा
गीता ज्ञानी चिड़िया गीता ज्ञान….. गीता की पाती
शहद को अमृत कहा जाता है जिसकी कोई एक्सपायरी नहीं होती ……शहद जैसे बोल …मीठी बोली …बरसों तक लोगों के दिलों पर राज करती है.. कहते हीरा है सदा के लिए…. ऐसे मीठे बोल भी सदा ही आनंद ..शांति.. प्रेम की मिठास दिलों में घोल ही जाते हैं तो आज आज मीठी सी कसम लेते हैं जब भी बोलेंगे मीठा . अच्छा ..सच्चा बोलेंगे. जब भी कोई मिले तो बस यही बोले चलो आज आज मीठा हो जाए
परमात्मा है परम गुरु मेरा
परमात्म अनुभूति मेरा गुरु मंत्र
कुदरत की गोद मंदिर मेरा
बजे शंख घंटी हरदम अंदर
गुरु की महिमा गुरु की कृपा
मन मोरा नाचे मस्त कलंदर
गुजारे जो हमारे बिन तुमने 2 साल
बार-बार रोता होगा तेरा मन
कांपता होगा तेरा तन , 3 बेटों के होते ?
जिंदगी मजबूर बेबस और बेहाल है
कितना डर लगता होगा , सर्द अंधेरी रातों में
कितनी बददुआएं दी होंगी उन हालातों में
आपकी जिद थी कि हम मनाए
हम सोचे थे , आप खुद ही आ जाएं
बड़ा भारी पड़ा आपको ना मनाना
बच्चों की दादी ( माँ जी ) सासु माँ
जितना दिया था दर्द उससे ज्यादा पाया
स्वर्ग नरक यही , बखूबी समझ आया
दर्द के बदले दर्द ही पाना पड़ता है
वक्त चला गया पछतावे रह गए
रह गई आपकी माला लगी तस्वीर
पर अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गई खेत
होते अगर इस जहान में तो
कर लेते प्रायश्चित और खेद
खुद गवाह और खुदा गवाह हैं
चाह के भी आपको बुला ना सके
बनता था जो फर्ज हम निभा ना सके
हो सके तो माफ कर देना मां
कर्मगति ने तो कर दिया हिसाब
हो सके तो आप भी साफ कर देना
वतन को सोचे ,वतन ही खोजें ..
वतन ही अपना , वतन ही सपना ….
वतन ही ममता ,वतन ही आशिक।
वतन ही रब ,वतन ही सब ।
वतन दीवाने , वतन से शादी ,
मौत का सेहरा सर पर बांधे
एक ही मंजिल वतन आजादी
बसंती चोला गूंज कण कण में बसा दी
किसी का लाल गोपाल , राखी, किसी का सिंदूर।
एक ही रिश्ता वतनपरस्ती ,नशा, गरूर।
आजादी की अलख जगा दी हजूर ।
हंसते-हंसते जान गवा दी ।
आजाद हिंद का बोया बीज ।
कुर्बानी के लहू से दिया सींच ।
शहादत की मिट्टी पर आजादी का बूटा ।
एक सच* आजादी * बाकी सब झूठा झूठा ।
शहीदो को रजनी का कोटि-कोटि नमन !
जिनके सदके आजाद हिंद ,आजाद चमन ।
नाम होते हैं व्यक्तित्व के आईने
नाम से ही हम जाते पहचाने
कुछ सोचकर ही नाना जी ने
मामा आपको नाम अशोक दिया होगा ।
कहीं ना कहीं नाना को भी एहसास होगा ।
अशोक चिन्ह की दीवारों गलियारो पर ।
अशोक का कभी न कभी तो वास होगा ।
यूं ही नहीं सदर कैंट से संसद तक जाता कोई
यूं ही नहीं वतन को भाता कोई ।
मेहनत संघर्ष के अंगारों पर चलना पड़ता है ।
सीढ़ी सीढ़ी मंजिलों की ओर कदम बढ़ाना पड़ता है।
बहुत अच्छा लग रहा है मिल रही बधाईया*
बधाई पात्र तो बड़े नाना नानी है ।
लवली के आकाश का वह सितारा है ।
जिसकी रोशनी से फैला उजियारा है ।
सीखे कोई फन मामा ,आपसे मंजिले पाने का ।
शुक्रिया ए खुदा ! ऐसा गौरव दिलाने का ।
जय हिंद ,जय भारती ,जय गणराज्य ।
मेरी आवाज सुनो
ऐसा अंदाज चुनो
जल बचाओ ॰॰जल बचाओ ॰॰
पुकारने से ना होगा कुछ
मुझे संभालने से ही होगा कुछ
जीने के लिए जरूरी हूं
प्यास बुझाता मैं पूरी हूं
मुझे जाया करके, नादानो !
खुद ही उजड़ जाओगे।
ढूंढे भी ना मिलूंगा मैं ।
बूंद बूंद को तरस जाओगे ।
अभी भी संभल ले, जमाने !
कसम ले मुझे बचाने की।
[विश्व जल दिवस उत्सव] बस
इक कोशिश सोये को जगाने की।
जब बरसो की पीड़ा ,मन की घुटन ,बचपन की शरारत ,भूख , मजबूरी के तमाशे, दबी हुई सिसकियां ,ठहरे हुए अश्क, कुछ पहेलियां ,कुछ सहेलियां ,कुछ कुछ छूटे हुए साथी, वह किताबें ,वह पाठशाला ,वह कॉलेज ,वह गपशप , बेबसी ,बदहाली बेरोजगारी बेचारापन, कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें ,कुछ ठहरे हुए पल, कुछ रूठे हुए सपने ,रूहे दरवाजे पर दस्तक देते हैं ,ना जाने कब ? कलम उठ जाती है और भर डालती है पन्ने पर पन्ने ,पन्ने पर पन्ने ,कितने ही कविताएं बन जाती हैं ,जज्बात को अल्फाजों में पिरो ,कभी ग़ज़ल, कभी गीत ,कभी कव्वाली ,कभी सूफी ,कभी शेर ,कभी व्यंग्य ,ना जाने कब किताब बन जाती है ! यह लिखने वाले को भी नहीं पता चलता, अगर इसी का नाम कविता है तो हां मैं कविता लिखती हूं, लिखती रहूंगी ::;;;;???+×!
ताउम्र घूमती रही हंसी नजारों की तलाश में ..
देख के नजारे पर नैन मेरे भर गये ….
दहशतगर्दी के अंगारे रूह घायल कर गये
जन्नत ऐ कश्मीर जेहाद की फांस में
झुक रहे हैं चिनार पंडित परिवार की आस में
हिंदू मुस्लिम सिख फिर से भाई , प्रयास में
शांति के गीत गाए फिर से बहारें
फिर से लौट आए बेघर, हारे, बेचारे
जलता जहन्नुम फिर से जन्नत बन जाए।
प्यार की तलाश में , इकरार की तलाश में
अमन की तलाश में, चैन की तलाश में
तलाश में तलाश में *इन्सान की तलाश में ।
गुमशुदा – गमगीन नई पहचान की तलाश में ।
भर दे रे मां शक्ति भर दे
तू ही युक्ति , शक्ति , भक्ति
तेरे बिन मैं हूं अधूरी
तू तो करती आस पूरी
तू आस है विश्वास है
तू आदि अनंत अपार है
तेरी महिमा अपरंपार है
मैं भी नारी तू भी नारी
मन्नत मांगे नारी संसार
सबको रहमत बरकत दे
हर नारी को शक्ति दे
कोई महिषासुर छू नहीं पाए
तेरे गुण से खुद को सजाये नारी
हर बार जीते खुशी की पारी
नारी का शौर्य गान विश्व गाये
हर दिन नारी दिवस मनाए
गणपति विराजो , लक्ष्मी जी जी भी लाना है ।
मैया आई छम छम टीका लाई दमदम ।
चुनरी लाई चमचम समधन को सजाना है ।
सज धज के समधी जी को रिझाना है ।
सलामत रहे जोड़ी गौरी शंकर कहलाना है ।
भूली बेटी हमको , जब से पाया तुमको ।
धन्य हुए पाकर , पावन आप का घराना है ।
हर दिन होली हो, हर रात जगमगाना है ।
हंसते – बसते रहो , दुआओं का खजाना है।
जंग तो जंग है इधर या उधर है ।
ढेर पड़े लाशों के खून का सैलाब है ।
बेबसी, तन्हाई ,विलाप चारों ओर
हैवानियत, बेबसी का जोर है
जीतकर सरहदे…..
क्या पा लेगा इंसान तू ?
सब इधर ही छूट जाना है
इंसान है तो इंसान बन
मेहरबान – मेहरबान बन
न हैवान बन, ना शैतान बन
जाना है जो साथ
उससे तू अंजाना है
रहम कर , नादान तू
हैवान से बन इंसान तू
सीमाएं जीतने से बेहतर है
तू जीत , भुला रंजिशें
प्यार से सब के गले मिल
अमन में ही चैन है
अमन का संदेश दे
अमन का दे परिचय
अमन से ही जिंदगी
अमन से ही बहार है
बाकी सब झूठ है
सच सच केवल ( प्यार ) है ।
यूं ही मुस्कुराती रहे सदा !
मुस्कुराना भी है मासूम अदा !
तेरी हंसी मेरी जिंदगी है ,
मेरी आरजू है, मेरा अरमान है
जैसे हर मां का होता है
इतना हंसाए जिंदगी
इतना दुलारे बहारें
कभी आंसू भी आएं
तो हंसी के आए खुशी के
आंखें भरे यार ऐ प्यार से
तेरा तन मन महके
छलके-छलके तेरी आंखों से
मेरी लाडो! बिटिया रे # गुड़िया री
@रहमत #नजाकत #बरकत #
#प्यार *ममता # इंसानियत हमेशा ही
बिना बंधन, बिना चाह, बिना आह निभाएंगे (मोहब्बत) , है वादा खुद से उन्हें चाहने का , ना वादा मांगा हमने उनसे मोहब्बत निभाने का ,ना तुम्हारे प्यार की चाहत है ..इंतजार में..जुदाई में भी एक अलग ही मजा .. ना ही तुम्हारे दीदार की . इकरार की. पुकार की… दिल कहता है… चाहे जा..चाहे जा .. चाहे जा ,चाहे जा, चाहे जा , जरूरी नहीं दिल दूसरी और भी धड़कता हो , पर हमारी तो हर धड़कन में ,हर सांस में तुम ही हो तुम हो , तुम हो.. तुम हो.. तुम हो ..
Valentine not celebration
Show-off of heavy gifts
Valentine ….value of love
valuable partner.. no gifts
chocolate of sweetness
soul to soul kisses
Valentine dinner (soul food )
valentine = purposal of truth
valentine hugs of care
Valentine 🧸 like softness
Valentine 🌹 in pain -gain
💯% 👬each other forever ..
…