
दर्द दिया दर्द लिया

गुजारे जो हमारे बिन तुमने 2 साल
बार-बार रोता होगा तेरा मन
कांपता होगा तेरा तन , 3 बेटों के होते ?
जिंदगी मजबूर बेबस और बेहाल है
कितना डर लगता होगा , सर्द अंधेरी रातों में
कितनी बददुआएं दी होंगी उन हालातों में
आपकी जिद थी कि हम मनाए
हम सोचे थे , आप खुद ही आ जाएं
बड़ा भारी पड़ा आपको ना मनाना
बच्चों की दादी ( माँ जी ) सासु माँ
जितना दिया था दर्द उससे ज्यादा पाया
स्वर्ग नरक यही , बखूबी समझ आया
दर्द के बदले दर्द ही पाना पड़ता है
वक्त चला गया पछतावे रह गए
रह गई आपकी माला लगी तस्वीर
पर अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गई खेत
होते अगर इस जहान में तो
कर लेते प्रायश्चित और खेद
खुद गवाह और खुदा गवाह हैं
चाह के भी आपको बुला ना सके
बनता था जो फर्ज हम निभा ना सके
हो सके तो माफ कर देना मां
कर्मगति ने तो कर दिया हिसाब
हो सके तो आप भी साफ कर देना
एक जुनून बस @आजादी

वतन को सोचे ,वतन ही खोजें ..
वतन ही अपना , वतन ही सपना ….
वतन ही ममता ,वतन ही आशिक।
वतन ही रब ,वतन ही सब ।
वतन दीवाने , वतन से शादी ,
मौत का सेहरा सर पर बांधे
एक ही मंजिल वतन आजादी
बसंती चोला गूंज कण कण में बसा दी
किसी का लाल गोपाल , राखी, किसी का सिंदूर।
एक ही रिश्ता वतनपरस्ती ,नशा, गरूर।
आजादी की अलख जगा दी हजूर ।
हंसते-हंसते जान गवा दी ।
आजाद हिंद का बोया बीज ।
कुर्बानी के लहू से दिया सींच ।
शहादत की मिट्टी पर आजादी का बूटा ।
एक सच* आजादी * बाकी सब झूठा झूठा ।
शहीदो को रजनी का कोटि-कोटि नमन !
जिनके सदके आजाद हिंद ,आजाद चमन ।
सदर कैंट जालंधर से संसद तक

नाम होते हैं व्यक्तित्व के आईने
नाम से ही हम जाते पहचाने
कुछ सोचकर ही नाना जी ने
मामा आपको नाम अशोक दिया होगा ।
कहीं ना कहीं नाना को भी एहसास होगा ।
अशोक चिन्ह की दीवारों गलियारो पर ।
अशोक का कभी न कभी तो वास होगा ।
यूं ही नहीं सदर कैंट से संसद तक जाता कोई
यूं ही नहीं वतन को भाता कोई ।
मेहनत संघर्ष के अंगारों पर चलना पड़ता है ।
सीढ़ी सीढ़ी मंजिलों की ओर कदम बढ़ाना पड़ता है।
बहुत अच्छा लग रहा है मिल रही बधाईया*
बधाई पात्र तो बड़े नाना नानी है ।
लवली के आकाश का वह सितारा है ।
जिसकी रोशनी से फैला उजियारा है ।
सीखे कोई फन मामा ,आपसे मंजिले पाने का ।
शुक्रिया ए खुदा ! ऐसा गौरव दिलाने का ।
जय हिंद ,जय भारती ,जय गणराज्य ।
जल की आवाज

मेरी आवाज सुनो
ऐसा अंदाज चुनो
जल बचाओ ॰॰जल बचाओ ॰॰
पुकारने से ना होगा कुछ
मुझे संभालने से ही होगा कुछ
जीने के लिए जरूरी हूं
प्यास बुझाता मैं पूरी हूं
मुझे जाया करके, नादानो !
खुद ही उजड़ जाओगे।
ढूंढे भी ना मिलूंगा मैं ।
बूंद बूंद को तरस जाओगे ।
अभी भी संभल ले, जमाने !
कसम ले मुझे बचाने की।
[विश्व जल दिवस उत्सव] बस
इक कोशिश सोये को जगाने की।
World poetry (कविता) day

जब बरसो की पीड़ा ,मन की घुटन ,बचपन की शरारत ,भूख , मजबूरी के तमाशे, दबी हुई सिसकियां ,ठहरे हुए अश्क, कुछ पहेलियां ,कुछ सहेलियां ,कुछ कुछ छूटे हुए साथी, वह किताबें ,वह पाठशाला ,वह कॉलेज ,वह गपशप , बेबसी ,बदहाली बेरोजगारी बेचारापन, कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें ,कुछ ठहरे हुए पल, कुछ रूठे हुए सपने ,रूहे दरवाजे पर दस्तक देते हैं ,ना जाने कब ? कलम उठ जाती है और भर डालती है पन्ने पर पन्ने ,पन्ने पर पन्ने ,कितने ही कविताएं बन जाती हैं ,जज्बात को अल्फाजों में पिरो ,कभी ग़ज़ल, कभी गीत ,कभी कव्वाली ,कभी सूफी ,कभी शेर ,कभी व्यंग्य ,ना जाने कब किताब बन जाती है ! यह लिखने वाले को भी नहीं पता चलता, अगर इसी का नाम कविता है तो हां मैं कविता लिखती हूं, लिखती रहूंगी ::;;;;???+×!
# kashmir files

ताउम्र घूमती रही हंसी नजारों की तलाश में ..
देख के नजारे पर नैन मेरे भर गये ….
दहशतगर्दी के अंगारे रूह घायल कर गये
जन्नत ऐ कश्मीर जेहाद की फांस में
झुक रहे हैं चिनार पंडित परिवार की आस में
हिंदू मुस्लिम सिख फिर से भाई , प्रयास में
शांति के गीत गाए फिर से बहारें
फिर से लौट आए बेघर, हारे, बेचारे
जलता जहन्नुम फिर से जन्नत बन जाए।
प्यार की तलाश में , इकरार की तलाश में
अमन की तलाश में, चैन की तलाश में
तलाश में तलाश में *इन्सान की तलाश में ।
गुमशुदा – गमगीन नई पहचान की तलाश में ।
महा शक्ति महा नारी मां दुर्गे

भर दे रे मां शक्ति भर दे
तू ही युक्ति , शक्ति , भक्ति
तेरे बिन मैं हूं अधूरी
तू तो करती आस पूरी
तू आस है विश्वास है
तू आदि अनंत अपार है
तेरी महिमा अपरंपार है
मैं भी नारी तू भी नारी
मन्नत मांगे नारी संसार
सबको रहमत बरकत दे
हर नारी को शक्ति दे
कोई महिषासुर छू नहीं पाए
तेरे गुण से खुद को सजाये नारी
हर बार जीते खुशी की पारी
नारी का शौर्य गान विश्व गाये
हर दिन नारी दिवस मनाए
सुन सुन सुन बधाई की धुन
गणपति विराजो , लक्ष्मी जी जी भी लाना है ।
मैया आई छम छम टीका लाई दमदम ।
चुनरी लाई चमचम समधन को सजाना है ।
सज धज के समधी जी को रिझाना है ।
सलामत रहे जोड़ी गौरी शंकर कहलाना है ।
भूली बेटी हमको , जब से पाया तुमको ।
धन्य हुए पाकर , पावन आप का घराना है ।
हर दिन होली हो, हर रात जगमगाना है ।
हंसते – बसते रहो , दुआओं का खजाना है।
अमन से चमन है

जंग तो जंग है इधर या उधर है ।
ढेर पड़े लाशों के खून का सैलाब है ।
बेबसी, तन्हाई ,विलाप चारों ओर
हैवानियत, बेबसी का जोर है
जीतकर सरहदे…..
क्या पा लेगा इंसान तू ?
सब इधर ही छूट जाना है
इंसान है तो इंसान बन
मेहरबान – मेहरबान बन
न हैवान बन, ना शैतान बन
जाना है जो साथ
उससे तू अंजाना है
रहम कर , नादान तू
हैवान से बन इंसान तू
सीमाएं जीतने से बेहतर है
तू जीत , भुला रंजिशें
प्यार से सब के गले मिल
अमन में ही चैन है
अमन का संदेश दे
अमन का दे परिचय
अमन से ही जिंदगी
अमन से ही बहार है
बाकी सब झूठ है
सच सच केवल ( प्यार ) है ।
तेरी मुस्कान मेरा अरमान

यूं ही मुस्कुराती रहे सदा !
मुस्कुराना भी है मासूम अदा !
तेरी हंसी मेरी जिंदगी है ,
मेरी आरजू है, मेरा अरमान है
जैसे हर मां का होता है
इतना हंसाए जिंदगी
इतना दुलारे बहारें
कभी आंसू भी आएं
तो हंसी के आए खुशी के
आंखें भरे यार ऐ प्यार से
तेरा तन मन महके
छलके-छलके तेरी आंखों से
मेरी लाडो! बिटिया रे # गुड़िया री
@रहमत #नजाकत #बरकत #
#प्यार *ममता # इंसानियत हमेशा ही
प्यार मिले नसीबो से

बिना बंधन, बिना चाह, बिना आह निभाएंगे (मोहब्बत) , है वादा खुद से उन्हें चाहने का , ना वादा मांगा हमने उनसे मोहब्बत निभाने का ,ना तुम्हारे प्यार की चाहत है ..इंतजार में..जुदाई में भी एक अलग ही मजा .. ना ही तुम्हारे दीदार की . इकरार की. पुकार की… दिल कहता है… चाहे जा..चाहे जा .. चाहे जा ,चाहे जा, चाहे जा , जरूरी नहीं दिल दूसरी और भी धड़कता हो , पर हमारी तो हर धड़कन में ,हर सांस में तुम ही हो तुम हो , तुम हो.. तुम हो.. तुम हो ..

Valentine not celebration
Show-off of heavy gifts
Valentine ….value of love
valuable partener no gifts
chocolate of sweetness
soul to soul kisses
Valentine dinner (soul food )
valentine =purposal of truth
valentine hugs of care
Valentine 🧸 like softness
Valentine 🌹 in pain -gain
💯% 👬each other forever ..
…
Valentine’s Valuation
नोटबंदी का फायदा
वाह ! मोदी जी वाह, Food wastage का स्वाहा ।
शाही शादियों को चायपान आयोजन में बदल दिया ।
नोटबंदी ने देश के दिशाहीनों को सस्ती राह दिखा दी।
गरीबों की चिंताये भी मिटा दी। दुआए कबूल करो ।
भूख पर तमाचा

भूख की कीमत तो भूखा जानता है
झूठन की कीमत भी भूखा ही जानता है
भरपेट थाली जिसके लिए सपना हो
जमीन हो घर बस आसमान अपना हो
कितनो का बन सकता था जो निवाला
भरे पेट वालों ने कूड़े में उसको डाला
भूख की आग सहन की ना कभी
तभी भर- भर थाली फेंक दिया सभी
मुश्किल से दावत को जोड़ा होगा धन
अन्नदाता पर ,भूख , मेहनत पर भी तमाचा है।
गरीब बाप की मजबूरी पर , मजदूरी पर भी।
गर्दिश का राजा

घोड़ा है ना गाड़ी है, ना महल ना चौबारे ना दरबान है ना पकवान है , माई रे ! न हीरे जेवरात है, # Bapu मेरा राजा ना मां मेरी रानी है ,ना सेना है ना मेवा है, काम करती थी जहां मां , ईट बजरी थी वहां, राजगद्दी उसकी बनाकर मुझे बिठा दिया, तंग कर रहा था बहुत इसलिए बहला दिया, गर्दिश के राजा का आसन सजा दिया #माई ने मेरी @ मैया मेरी ने अपने कुंवर का
उलझे सूरत में
सूरत सूरत ही करते रहे
अब समझे मायने सीरत के
रूप रंग की लेते रहे बलाई
मिली उनसे हमे Bewafai
सूरत ने दिखाए दिन में तारे
सीरत वाले क्यों हमने bisare ?
राम चाहिए# राम मंदिर नहीं

कलयुग में जगह जगह पर रावण मिल जाएंगे । बलात्कारी, हत्यारा, चोर लूटेरा ,नशे का व्यापारी बन ,कभी दहेज लोभी बन, इन रावण को मारने के लिए बहुत सारे राम चाहिए । राम मंदिर बनाने से कुछ नहीं होगा राम बनने से कुछ होगा ।बन मर्यादा पुरुषोत्तम मार दो सच्चाई के तीर से कुछ तो कम होगा कलयुग ,कुछ तो सुरक्षित रहेगी नारी ,कहीं तो सतयुग का आभास होगा ,कहीं तो रामराज्य नजर आएगा ,ना मंदिर चाहिए ,ना मस्जिद चाहिए ,ना गुरुद्वारे चाहिए ,चाहिए तो राम* चाहिए ,गोविंद चाहिए
Bachelor and India
This was a big honour for my son poet Bhavya Singla presented own poetry to legend, a poet himself missileman President Abdul kalam ji at his school time at jalandhar. Only child got chance staying with Greatman throughout time he spent in jalandhar who was enjoying bachelorhood with Pm अटल ji during serving nation. Will remain in our hearts these bachelors forever.
https://hindipoetryworld.files.wordpress.com/2012/09/pride-of-nation1.jpg
जैसा अन्न वैसा मन

काटने से पहले कोई जानवर सोचना जरूर , इसमें भी सांस है , इसको भी आस है , इसको भी प्यास है जीने की, अपनी भूख के लिए किसी मासूम की बलि मत बनाओ । कुदरत ने बहुत दिया है खाने के लिए इंसान की खातिर तो फिर क्यों इंसानियत छोड़ हैवानियत का दामन थामना , क्यों ? किसी को जीते जी अपने क्षणिक स्वाद के लिए जीवन से वंचित कर देना अमानवीय है । तामसी वृत्ति को त्यागना है तो शाकाहार बनाइए क्योंकि कहते हैं (जैसा अन्न वैसा मन )