पापी पेट के लिए करता हूं
आज का तो हुआ इंतजाम
कल के लिए हरदम डरता हुं
तपते तन, सहमे डरे मन से
नागा कभी कभी करता हुं
भुख से करनी पड़ती मुलाकात
जाडे़ में जब -जब ठिठुरता हुं
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पापी पेट के लिए करता हूं
आज का तो हुआ इंतजाम
कल के लिए हरदम डरता हुं
तपते तन, सहमे डरे मन से
नागा कभी कभी करता हुं
भुख से करनी पड़ती मुलाकात
जाडे़ में जब -जब ठिठुरता हुं
"People ask me what I do in the winter when there's no baseball. I'll tell you what I do. I stare out the window and wait for spring."
~ Rogers Hornsby
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“मजदूर हूं मजबूर नही” को एक उत्तर
[…] पापी पेट के लिए करता हूं आज का तो हुआ इंतजाम कल के लिए हरदम डरता हुं तपते तन, सहमे डरे मन से नागा कभी कभी करता हुं भुख से करनी पड़ती मुलाकात जाडे़ में जब -जब ठिठुरता हुं https://hindipoetryworld.wordpress.com/2018/05/01/%e0%a4%ae%e0%a4%9c%e0%a4%a6%e0%a5%82%e0%a4%b0-%e0%… […]